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गर्भाधान संस्कार

गर्भाधान संस्कार

गर्भाधान संस्कार सत्य सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जिसका उद्देश्य गर्भ धारण से पूर्व शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक शुद्धि करना है। इस संस्कार से शुभ और संस्कारी संतान की प्राप्ति की कामना की जाती है।

पुंसवन संस्कार

पुंसवन संस्कार

पुंसवन संस्कार हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में से दूसरा संस्कार है, जिसे गर्भधारण के बाद, विशेषकर गर्भ के दूसरे या तीसरे महीने में किया जाता है। इस संस्कार का उद्देश्य गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा, विकास, और शुभता के लिए ईश्वर से प्रार्थना करना है। इसमें विशेष मंत्रों का जाप और विधियों के माध्यम से शिशु की लंबी आयु, स्वस्थ शरीर और उत्तम गुणों की कामना की जाती है। इस संस्कार से परिवार में सुख, समृद्धि और संतान की उत्तमता का संकल्प लिया जाता है।

सीमन्तोन्नयन संस्कार

सीमन्तोन्नयन संस्कार

सीमन्तोन्नयन संस्कार गर्भवती स्त्री के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा और संतान की सुख-समृद्धि हेतु किया जाने वाला संस्कार है। यह गर्भवती के प्रति प्रेम, देखभाल और सुरक्षा का प्रतीक है।

जातकर्म संस्कार

जातकर्म संस्कार

जातकर्म संस्कार नवजात शिशु के जन्म के बाद किया जाने वाला पहला संस्कार है। यह शिशु के स्वागत, शारीरिक-मानसिक कल्याण और जीवन के शुभारंभ का प्रतीक है।

नामकरण संस्कार

नामकरण संस्कार

हिंदू धर्म में सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है नामकरण, जो बच्चे के जन्म के बाद किया जाता है। इसमें बच्चे का विधिवत नाम रखा जाता है। यह संस्कार बच्चे की पहचान और भविष्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

निष्क्रमण संस्कार

निष्क्रमण संस्कार

निष्क्रमण संस्कार शिशु को पहली बार घर से बाहर निकालने का संस्कार है। यह शिशु के लिए बाहरी वातावरण से परिचय, सूर्यदेव व चंद्रदेव के दर्शन, और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है।

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Yog and It's Paths

Yog and It's Paths

The word 'Yog' is derived from the Sanskrit root 'Yuj', meaning 'to join' or 'to unite'. As per Yogic scriptures, the practice of Yog leads to the union of individual consciousness with that of the Universal Consciousness, indicating a perfect harmony between the mind and body.

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Ramesh Sharma

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Priya Patel

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Amit Kumar

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Sneha Joshi

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Vijay Gupta

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Radha Sharma

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